नागवंशी शासन व्यवस्था | Nagvanshi Shasan Vyavastha

Study Jharkhand PSCप्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों एवं पाठकों के लिए झारखण्ड का इतिहास के अंतर्गत नागवंशी शासन व्यवस्था | Nagvanshi Shasan Vyavastha से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें प्रस्तुत कर रहा है। यह आपको JPSC, JSSC एंव अन्य झारखण्ड राज्य आधारित परिक्षाओं मे सहायता करेंगी। पोस्ट के अंत मे Quiz है जो निचे दी हुई जानकारी पर आधारित है।पाठक गणों से अनुरोध है कि Quiz में जरूर भाग ले।

नागवंशी शासन व्यवस्था | Nagwanshi Shasan Vyavastha

नागवंशी शासन व्यवस्था | Nagvanshi Shasan Vyavastha under History of Jharkhand for JPSC, JSSC and other exams


64 ईस्वी ( प्रथम शताब्दी ) मे मुण्डाओं ने अपनी शासन व्यावस्था नागवंशियों को हस्तांतरित की। फनी मुकुट राय पहले शासक बनेमुण्डाओं ने उन्हे प्रमुख मानकी का दर्जा दिया। उन्होने सुतियाम्बे को ही अपनी राजधानी बनाई। और नागवंशी शासन व्यवस्था कि शुरूवात हुई।

नागवंशी शासन तंत्र का प्रमुख राजा होता था पर नागवंशी शासक परम्परागत शासन व्यावस्था के साथ सामंजस्य बनाकर कार्य करते थे। नागवंशी शासको ने मुण्डाओं कि पड़हा व्यावस्था को जारी रखा। पड़हा को एक प्रशासनिक इकाई के रूप मे माना गया। सारी शासन व्यावस्था जो मुण्डाओं के राज मे थी वह उसी तरह चल रही थी। गांव की व्यावस्था मुण्डाओं के पास थी। वे लोग जंगलों को साफ करके खेती लायक जमीन बनाते थे। ऐसे जमीनो पर सामूहिक स्वामित्व होता था। मुण्डा उन जमीनो को खेती के लिये आवंटित करते थे।

यह व्यावस्था सोलहवीं शताब्दी तक चली।

1585 ईस्वी से इस व्यवस्था मे बदलाव आने लगी। इस का मुख्य कारण मुगलो द्वारा आक्रमण का होना माना जाता है। मुगल सेना द्वारा बार बार आक्रमण कि स्थिति से बचने के लिए नागवंशी शासको ने मुगल सेनाओं को नजराना दिया जो नियमित होता गया और मालगुजारी कहा जाने लगा।

उस वक्त कि व्यावस्था मे मालगुजारी लेने की प्रथा आम – रैयत से नहीं थी अतः नागवंशी शासको को सम्पूर्ण राज्य का मालगुजारी देने मे कठिनाई होती थी। ऐसी स्थिति मे ही 1616 ईस्वी मे कर ना दे पाने के कारण जहाँगीर के आदेश से इब्राहिम खाँ के नेतृत्व मे छोटा नागपुर खास मे आक्रमण हुआ। उस वक्त के महाराजा दुर्जनशाल को बंदी बना लिया गया और उन्हे ग्वालियर के किले मे बारह वर्षो तक रखा गया। जब उन्हे छोड़ा गया तो 6000 रुपये सालाना कर कि मांग की गयी जो उन्होने मान लिया।

1632 ईस्वी मे यह कर बढ़ा कर 1,36,000 रूपये की गयी।

1636 ईस्वी मे यह कर पुनः बढ़ा कर 1,61,000 रूपये की गयी।

मालगुजारी देने के दवाब मे नागवंशियों ने अपनी प्राचीन शासन व्यावस्था मे बदलाव किया। महाराजा दुर्जनशाल ने प्रशासन का नया ढांचा मुगल शासन पद्धति पर रखा। लेखक एस. सी. राय के अनुसार नागवंशियों ने पड़हा को पट्टी का नाम दिया और पड़हा के प्रमुख मानकियों को भुईंहर घोषित किया गया। उनको मालगुजारी वसूलने का काम दिया। इसी समय यहाँ के पंचाबही खातो मे हाकिमी कर दर्ज किया गया।

समय के साथ अन्य बदलाव हुए। नागवंशी शासको कि रूचि मंदिरो के निर्माण मे होने लगी। उनके रख रखाव के लिए बह्मोतर, देवोतर और ब्रीत जैसी जमीन दी जाने लगी। मुगल शासन एंव अन्य स्वतंत्र भारतीय शासन व्यवस्था की तरह नागवंशी शासक अपनी दरबार मे राजपूत, ब्राह्मण, पुरोहित, अमला, कायस्थ एंव अन्य को नियुक्त करने लगे।

बाहरी आक्रमण के कारण सैन्य व्यवस्था भी होने लगी थी। राजाओं की अपनी निजी सेनायें हुआ करती थी जिसका प्रबन्ध वे अपनी आर्थिक शक्ति के अनुसार करते थे।

आगे के राजाओं ने जागीरदार रखे और उनको मालगुजारी वसूलने का काम दिया। बड़ाईक, राजपूत, रौतिया आदि को निर्धारित लगान पर जागीर दिया गया। किसी किसी क्षेत्रों मे जैसे डोकरा और दोइसा मे ब्राह्मणो को भी जागीर दिया गया जो लगान रहित था।

जागीरदारो द्वारा वसूले गये मालगुजारी नियमित रूप से मुगल शासकों को नही दिया जाता था। यह तभी दिया जाता था जब कोई मुगल शासक माँग करता था। इस अनियमित कर व्यावस्था को नजराना या पेशकश कहा जाता था।

1765 ईस्वी मे अंग्रेजो को दीवानी मिलने के बाद उनका इस क्षेत्र मे आगमन हुआ। इस क्षेत्र को पटना कौंसिल की व्यवस्था मे रखा गया। फोर्ट विलियम को इस क्षेत्र से कर वसूली का जिम्मा दिया गया। परंतु वह असफल रहे। 1775 ईस्वी मे एस. जी. हिटली को छोटा नागपुर खास का कलक्टर नियुक्त किया गया पर वह भी नियमित कर वसूलने मे असफल रहे। 1780 ईस्वी मे रामगढ़, चतरा और छोटा नागपुर खास को मिलाकर एक नियमित जिला बनाया गया जिसका नाम रामगढ़ हिल ट्रेक्ट था। इसका शासन शेरघाटी से चलाया जाता था। जिला का स्थानीय प्रशासन क्षेत्रीय राजाओं के पास ही था। चैपमैन को विशेष पदाधिकारी बनाया गया और उनको कर वसूली का जिम्मा दिया गया। पर वह भी असफल रहे।

अंतः 1793 ईस्वी में जागीरदारी प्रथा को हटा कर जमींनदारी प्रथा लागू की गयी। राजाओं को जमींनदार बना दिया गया। नए – नए कानून लागू किए गए जिसके परिणाम स्वरूप यहाँ की प्राचीन शासन व्यवस्था विलुप्त होती गयी।

उम्मीद है आपको नागवंशी शासन व्यवस्था | Nagwanshi Shasan Vyavastha पर लिखी यह लेख अच्छी लगी होगी और कुछ जानकारी मिली होगी। फिर भी अगर कोई सवाल है तो बेझिझक कॉमेंट मे पुछे। आपकी सहयता करके खुशी मिलेगी। और अंत मे इस पोस्ट को शेयर करना बिल्कुल न भूले।

दोस्तों, Quiz मे भाग लीजीए और अपनी छ्मता जाँचिए।

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